जाति आधारित रैलियों पर क्यों न लगाया जाए प्रतिबंध? चार प्रमुख राजनीतिक दलों को नोटिस जारी कर इलाहबाद हाईकोर्ट ने माँगा जवाब
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- December 5, 2022
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इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश की चार प्रमुख राजनीतिक पार्टियों से जवाब माँगा है कि जातिगत आधार पर की जाने वाली रैलियों पर हमेशा के लिए पूर्ण प्रतिबंध क्यों न लगा दिया जाए, और यदि इसका उल्लंघन हो तो चुनाव आयोग को उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए।
यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा दायर एक पुरानी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पारित किया है।
इस जनहित याचिका में जाति आधारित रैलियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
इस याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने चार प्रमुख राजनीतिक दलों सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
ग़ौरतलब है कि इसी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जुलाई 2013 में एक अंतरिम आदेश पारित किया था, लेकिन आदेश पर कोई कार्रवाई न होते देख हाईकोर्ट ने नया आदेश पारित किया है।
याची का तर्क था कि जाति आधारित रैलियों के आयोजन से कम संख्या वाली जातियां अपने ही देश में दोयम दर्जे की नागरिक बन गई हैं।
पीठ ने चार प्रमुख राजनीतिक दलों सहित मुख्य चुनाव आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारिख 15 दिसंबर तय की है।